एक कहानी
अब वह माली तो रहा नहीं था, उसके बच्चों ने जैसे उस बगीचे के ऊपर कब्ज़ा सा कर लिया था, हलाकि कानूनी तौर पे तो बगीचा उसके सही मालिकों के पास ही था। वो बच्चे बोले, "हमने बड़ी मेहनत करके इस बगीचे को संवारा है, हमें ही माली बने रहने दो। "
लेकिन बगीचे की हालत तो सबके सामने थी। कोई भी अब बगीचे की देखरेख के लिए उन बच्चों को माली के तौर पे नहीं रखना चाहता था। इस बीच एक और माली आया और उसने कहा कि वह बगीचे को फिर से हराभरा कर देगा व आम भी सबको फिर से मिलने लग जायेंगे। उसकी बातें सुन, बगीचे के मालिकों ने बगीचे के लिए उसे नए माली की नौकरी दे दी।
अब नए माली ने काम शुरू किया तो पहली मुश्किल यह पाई कि नए पौधों के लगाने से पहले उसे पुराने कटे हुए पेड़ों को जड़ से उखाड़ना था। जड़ें ज़मीन के नीचे बड़ी ज़ोर से जमी हुई थीं। उसे काफी समय लग गया इस काम में। इस बीच पुराने माली के बच्चों ने देखा कि नया माली सही दिशा में जा रहा है, तो वह घबरा गए। अभी तक तो वह सोच रहे थे कि नया माली कुछ कर नहीं पायेगा और कुछ दिनों बाद मालिक लोग फिर से उन्हें ही बगीचा वापस सौंप देंगे। परन्तु नए माली को सही दिशा में जाते देख उन्होंने बगीचे पे फिर से कब्ज़ा करने के लिए कुछ और हथकंडे इस्तेमाल करना शुरू कर दिए, जैसे शहर का कूड़ा करकट ला कर बगीचे के अंदर और बहार फेंकना, फाटक के बाहर अपनी गाड़ी खड़ी कर देना ताकि उखाड़ी हुई जड़ों को नया माली बगीचे के बहार ही न ले जा पाए, इत्यादि।
इन सब मुसीबतों के बावजूद माली अपना काम करता रहा। मालिक लोग भी देख रहे थे कि पुराने माली लोग क्या गन्दगी फैला रहे हैं। वो नए माली के काम करने के तरीके से काफी संतुष्ट नज़र आ रहे थे।
यह देख पुराने मालियों ने एक नया तरीका अपनाया। नए माली ने पुरानी जड़ों को काट कर आम के नए पौधे अभी लगाए ही थे कि पुराने माली लोग चिल्ला चिल्ला के कहने लगे,"देखो मालिक लोगों, आपका नया माली तो कह रहा था कि वह बगीचे को फिर से हराभरा कर देगा। वो यह भी कह रहा था कि आम फिर से मिलने लगेंगे। आप ही बताइये, क्या बगीचा हराभरा हो गया? क्या आम मिलने लगे?"
नए माली ने समझाया कि भाई फिर से हरियाली लाने और आम के पेड़ों को बड़ा होने ताकि वह फल देना शुरू कर पाए, में कुछ समय लगता है। किन्तु कुछ नासमझ मालिक पुराने मालियों के झाँसे में आ गए और वो भी पूछने लगे कि "आम कहाँ हैं?" यह देख नया माली थोड़ा दुखी भी हुआ कि यह कैसे मालिक हैं जो अपने सुन्दर बगीचे को बंजर होते हुए देखते रहे पर सालों चुप रहे और अब जब बगीचा फिर से ठीक होने की दिशा में जा रहा है तो सवाल कर रहे हैं!
और थोड़ी उसे खीज भी आई पराने मालियों पे कि वह कैसी अनर्गल बातें कर के मालिकों को उकसा रहे हैं। इसलिए उसने उन मालियों से बदला लेने की ठान ली। जहाँ कहीं भी वो पुराने माली किसी नयी नौकरी की तलाश में जाते, ये भी वहां पहुँच जाता और उनकी पोल खोल कर वह काम भी अपने हाथ में ले लेता।
धीरे धीरे नए माली को पुराने मालियों का काम छीनने और उनकी तिलमिलाहट देखने में बड़ा मज़ा आने लगा। बगीचे के मालिकों को भी इसमें मज़ा आता था, पर धीरे-धीरे उन्हें लगने लगा कि बगीचे में नए पौधों के लगने की रफ़्तार धीमी होती जा रही है। उन्हें यह एहसास हुआ कि नया माली पुराने मालियों से बदला लेने में इतना उलझ गया है कि अपने प्राथमिक कार्य, यानि बगीचे को फिर से हराभरा करना और आम के पेड़ों को लगाने से उसका ध्यान बट गया है। कई बार उन्हें यह भी लगा कि जिन निंदनीय हथकंडो का इस्तमाल पुराने माली करते थे जिनकी वजह से वे उनकी नज़रों से गिर गए थे, वही हथकंडे अब नया माली भी पुराने मालियों के खिलाफ इस्तेमाल करने लगा है। यह देख उन्हें कुछ अफ़सोस सा होने लगा। नए माली से उन्हें ऐसी आशा नहीं थी।
इधर नए माली को जितने समय के लिए ठेका दिया था, वह समय भी नज़दीक आने लगा। बगीचे का काम अभी पूरा नहीं हुआ था। अधिकतर मालिकों को मालूम था कि आम के पेड़ों में फल आने में समय लगता है, नया माली भी ठीक-ठाक काम कर रहा है, पर उन्हें नए माली का पुराने मालियों के साथ हर समय की तू-तू मैं -मैं भी अच्छी नहीं लग रही थी। वो सोचने लगे, क्या नए माली को फिर से ठेका दें? या पुराने मालियों को एक और मौका दें? वो शायद सुधर गए हों... ?
नया माली बार बार कहने लगा, मेरा ठेका इतने ही समय के लिए और बढ़ा दीजिये, फिर देखिएगा बगीचा!
पुराने माली वही पुरानी रट लगा रहे थे, "कहाँ हैं आम?"
और इन सबके बीच मालिक लोग असमंजन में....
आगे क्या होता है जानने के लिए बने रहिये हमारे साथ।